As soon as India announced its coronavirus lockdown on March 24, tens of thousands of migrant workers in cities left for their homes in one of the biggest mass movements of people in the country. For which many types of reactions are also coming. Some pictures who describing the helplessness of migrant labourers
सुन लीजिए योगी जी. देख लीजिए मोदी जी. एक मां की चित्कार सुनिए. एक महिला मजदूर के बेबसी की ये तस्वीर देखिए. जिस किसी के सीने में दिल होगा तो वो जरूर पिघल जाएगा. इस मां के आंखों से गिर रहे आंसू के सैलाब के एक-एक बूंद में मजबूरी-लाचारी और बेबसी की पूरी कहानी छुपी हुई है. जो लाखों मजदूरों के दर्द को बयां कर रही है. आखिर ये महिला क्या मांग रही है. यही ना कि आप इसके रहने-खाने- रोजगार या फिर घर तक जाने की साधन तक मुहैया नहीं करवा सकते तो इन्हें अपने पैरों के सहारे तो जाने दीजिए. अपने ढाई साल के बच्चे मिलने के लिए तड़प रही इस मां की ये मांग पूरी सिस्टम पर तमाचा है. जिसने ये मान लिया है कि सरकारें हमारे लिए कुछ नहीं कर सकती तो कम से कम हमें हमारे हाल पर छोड़ तो दे.
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